Shiv chaisa Options

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।

अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।

It really is thought that normal chanting of Chalisa brings pleasure, peace, and prosperity while in the life with the devotees.

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे Shiv chaisa

शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे ।

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस।

धन Shiv chaisa निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

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